shweta soni

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मेरे दिल का टुकड़ा

छोटी...उठ जा बेटा सुबह हो गई।‌ स्कूल जाने के लिए देर हो जायेगी ना बेटा। 

" मम्मा, आप रोज सुबह इतनी जल्दी क्यों उठाते हो। मुझे बहुत नींद आती है। मुझे और सोना है। 
चार साल की तारा ने तुतलाकर कहा ! 

बेटा आप रोज स्कूल जाओगे तभी तो बड़े होकर मम्मा की तरह बनोगे। मम्मा की तरह बनना है ना आपको! तो स्कूल भी जाना पड़ेगा। 

तारा - हां, मुझे आपकी तरह बनना हैं मम्मा। 
मैं - तो मेरा बच्चा, जल्दी से उठो और तैयार हो जाओ। 
" ओके मम्मा " तारा ने कहा और बाथरूम की ओर दौड़ पड़ी। नन्ही तारा के पीछे-पीछे मैं भी मुस्कुरा कर जा ही रही थी कि, मां सामने से आते हुए कहा।
मां - मीरा, तुम एक बार सोच लो बेटा। कब तक तुम ऐसे ही रहोगी। किसी और के बच्चे के लिए तुम अपना जीवन क्यूं अंधेरे में डाल रही हो? 

" मां, ये कैसी बातें कर रही हैं आप! तारा कोई गैर नहीं है, वो मेरी बेटी हैं। जिस उसे अपनी गोद में उठाया था उसी पल से वो मेरी बेटी थी। जिसने भी उसे भारी बारिश में छोड़ दिया था वो उनका अपराध था। लेकिन जिस समय मैंने तारा को अपनी गोद में उठाया उसी पल से वो तारा, मीरा राजपूत हो गई थी। मुझे रिश्तेदारों और इस नकली समाज की परवाह ही नहीं है मां। जिसने एक हफ्ते भर की बच्ची को देख कर भी अनदेखा कर मरने के लिए छोड़ कर। अफ़सोस जता रहें थे। यही हमारे गली के पास ही तो मिली थी ना मां " तारा " सब कालोनी वालों ने उसे देखकर भी अनदेखा कर दिया। और अब वो‌ किस हक से मुझे गलत ठहराते हैं। मां तारा मेरे " दिल का टुकड़ा है " और तुम्हारी नातिन भी, रही मेरी शादी की बात तो जब कोई ऐसा मुझे मिल जायेगा।जो तारा को एक पिता की तरह प्यार और दायित्व निभाए। मैं उससे शादी कर लूंगी, लेकिन‌ किसी मतलबी इंसान से शादी नहीं करूंगी। जो इंसान मेरे " दिल के टुकड़े " का दिल दुखाए मैं उससे शादी नहीं करूंगी। 

मीरा ने कहा और बाथरूम की ओर जाने लगी।तभी देखा की तारा की बड़ी-बड़ी आंखों में आसूं के बूंदे छलक आई थी। मीरा एक बार अपनी मां की ओर देखा और बड़े प्यार से तारा के पास घुटने पर बैठ गई।‌मीरा ने तारा के आंसू पोंछे।‌ तब तक रोती हुई तारा ने पूछा! 

मां मैं आपकी बेटी नहीं हूं? 
मीरा को जिस बात का डर था वहीं हुआ,‌तारा ने मां और मीरा की बातें सुन ली थी।
मीरा ने प्यार से तारा के सर पर हाथ फेरा और कहा।
" तुम तारा,‌मीरा राजपूत हो और यही सच्चाई हैं। तुम मेरी बेटी हो " मेरे दिल का टुकड़ा हो "और यह बात बिल्कुल सच है। कोई कुछ भी बोले पर हमारा रिश्ता मां-बेटी का है और रहेगा‌ हमेशा।‌ समझी तुम! मीरा ने तारा के माथे को चूमते हुए कहा! और उसे अपने सीने से लगा लिया।


समाप्त



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7 Comments

शॉर्ट में प्रेम से भरी प्रेणात्मक सामाजिक कहानी लिखी है आप। 👌🏻👌🏻पढ़कर अच्छा लगा।

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Zakirhusain Abbas Chougule

22-Oct-2022 02:57 PM

बहुत खूब

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Shnaya

21-Oct-2022 08:10 PM

शानदार

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